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शेयर बाजार में निवेश करते समय कुछ सावधानियां बरतना चाहिये, इंट्रा डे ट्रेडिंग से बचना चाहिये, लंबे समय तक निवेश करने पर मिल सकता है अच्‍छा खासा प्राफ‍िट


शेयर बाजार में निवेश करनेवाला स्त्री हो या पुरुष, वे निवेशकर्ता हैं। सभी को निवेश करने से पहले कई बातों के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए। पेश हैं, शेयर बाजार में निवेश की 10 Tips —

 

  •  अपनी बचत की हुई संपूर्ण राशि को सिर्फ शेयरों में निवेश न करें। उदाहरण के तौर पर, अगर आपके पास 1 लाख रुपए हैं तो 25 हजार रुपए ही शेयरों में निवेश करें। शुरुआत 25 प्रतिशत से करें।
  • एक ही कंपनी के शेयर न लेते हुए अलग-अलग और अच्छी साखवाली कंपनियों के शेयरों में निवेश करें। जैसे कि एक शेयर आई.टी. क्षेत्र का, दूसरा बैंकिंग, तीसरा इन्फ्रास्ट्रक्चर, चौथा दूरसंचार या सीमेंट या फिर स्टील वगैरह में; परंतु वे सारे शेयर अच्छी साख रखनेवाली कंपनियों के होने चाहिए।
  • शेयरों को खरीदते और बेचते समय आपके पास ‘पैन’ (परमानेंट एकाउंट नंबर) और डीमेट एकाउंट का भी होना जरूरी है।
  • शेयर बाजार में शेयर खरीदने और बेचने के लिए आप उस ब्रोकर का चुनाव करें, जिसकी छवि और सर्विस अच्छी हो। शेयर बाजार में होनेवाले सभी उतार-चढ़ाव की जानकारी उसके पास हो। साथ ही वह पंजीकृत भी हो, इस बात का ध्यान जरूर रखें।
  •  टिप्स-कल्चर से गुमराह न हों। लोग कई तरह की नई-नई स्क्रिप्‍ट खरीदने की सलाह देने लगेंगे। उनमें दाम तो बढ़ते होंगे, लेकिन बिना सोचे-समझे खरीदने में लेने के देने पड़ सकते हैं।
  •  आपके रिश्तेदार, मित्र, पड़ोसी को अगर किसी शेयर को बेचकर अच्छा दाम मिला है तो आप इस भ्रम में कतई न रहें कि उसी शेयर को खरीदकर और बेचकर आपको भी अच्छा दाम मिले।
  •  शेयर बाजार की अफवाहों और प्रसार माध्यमों में पढ़कर, किसी भी कंपनी के बारे में सुनकर निवेश न करें। कंपनी के बारे में संपूर्ण जानकारी कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध होती है। इसे अच्छी तरह से पढ़कर ही निर्णय लें।
  • निवेश लंबे समय का खेल है, लेकिन जिसे इंट्रा डे-ट्रेडिंग कहते हैं, वह एक सट्टा है। इसमें शेयर जल्दी खरीदकर बेचने की प्रक्रिया होती है। इसीलिए निवेश और सट्टे के फर्क को समझें। डे-ट्रेडिंग में बहुत जोखिम होता है। इसमें आपकी बचत की रकम पूरी तरह से डूब भी सकती है।
  •  जब भी शेयर खरीदें, लंबे समय के लिए खरीदें। अगर आपके दाम आज कम होते हैं तो भविष्य में बढ़ने के आसार भी होते हैं। इसके बावजूद अगर बीच में ही अच्छा मुनाफा मिल रहा है तो प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। कम-से-कम 50 प्रतिशत शेयर मुनाफा लेकर बेच दें। अगर कोई कमजोर साख की कंपनी के शेयर लिये हैं तो उसका नुकसान उठाने के लिए भी तैयार रहें।
  •  शेयर बाजार बहुत ही संवेदनशील होता है। उस पर हर तरह की घटना का प्रभाव पड़ता है। जैसे कि अमेरिका के अर्थतंत्र का, राजकीय घटनाओं, महँगाई, कंपनियों के परिणामों, एशियन मार्केट्स, उद्योगों का प्रभाव, इसलिए उसमें उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है। आपको तो सिर्फ अपने शेयर के बारे में जानकारी रखनी होती है, इंडेक्स के बारे में नहीं। अगर आपके शेयर अच्छी कंपनी के हैं तो फिर से बढ़ेंगे।

 

 सात सूत्र में छिपी निवेश की सफलता-Share Market Me Invest Karne Ke Tarike

 शेयर बाजार की आधारभूत वास्तविकताओं को समझ लिया जाए तो असफलताओं को टालकर सफलता हासिल की जा सकती है। पेश हैं निवेश के सात बुनियादी सूत्र—

  1. पहला सूत्र : शेयर बाजार में जब मंदी (bearish trend) का दौर शुरू हो जाता है और भाव नीचे उतर जाने से खरीदारों में उत्साह नहीं रहता है, ऐसी स्थिति में निवेशकों की रियल्टी यह होती है कि वे बाजार से दूर हो जाते हैं। जबकि सत्य यह है कि यही वह समय है जब निवेशकों को बाजार में प्रवेश करके धीरे-धीरे खरीदारी (right time to buy shares) करनी चाहिए और जैसे-जैसे कम भाव पर शेयर मिलते रहें, उन्हें लेते रहना चाहिए। आप ही विचार करें कि 58,000 के इंडेक्स पर खरीदना चाहिए या बेचना? और 40-50 हजार के इंडेक्स पर बेचें या खरीदें?
  2. दूसरा सूत्र : शेयर बाजार में नहीं, कंपनी में निवेश करना चाहिए। बाजार में शेयरों के भाव की घट-बढ़ देखकर उसके पीछे दौड़नेवालों को बाजार खदेड़ता है, जबकि कंपनी के कार्य परिणाम और ट्रेक रिकॉर्ड को देखकर निवेश करने वाले बाजार की चाल से नहीं घबराते। शेयर बाजार के रुझान को प्रभावित करने वाले अनेक कारक तत्त्व होते हैं, परंतु कंपनी को प्रभावित करनेवाले कारक तत्त्व काफी कम होते हैं। अतः आपको अपना ध्यान कंपनी पर केंद्रित करना चाहिए, न कि बाजार पर। आपका साथी शेयर बाजार की चाल को देखता रहता है, जबकि रियल्टी में कंपनी अच्छी हो तो शेयर बाजार भी उसका अच्छा फल देता है। सत्यम घोटाले के बाद उसी कंपनी को टेक महिंद्रा ने अधिगृहीत किया और शेयरों में  आया चढ़ाव इस वास्तविकता का ताजा उदाहरण है।
  3. तीसरा सूत्र : तय कर लें कि आपको निवेश करना है या सट्टा लगाना है! सामान्य रूप से लोग शेयरों में निवेश करने की बात करते हैं और दूसरे दिन से ही उसके भाव का उतार-चढ़ाव देखने लगते हैं। परिणामस्वरूप निवेश करने के बाद वे सदैव चिंतित रहते हैं और बाद में अपनी मानसिक चंचलता का दोष बाजार के मत्थे मढ़ देते हैं। बाजार तो चंचल ही रहने वाला है। वह तो उसका स्वभाव है। बाजार पर प्रतिदिन सवेरे से इतने समाचार सवार होने लगते हैं कि वह स्थिर कैसे रह सकता है? परंतु आप तो स्थिर रह सकते हैं। हाँ, शेयर बाजार में सफल होने के लिए यह जरूरी है कि आप निवेशक के रूप में सत्य और वास्तविकता दोनों को स्वीकार करते हुए चलें।
  4. चौथा सूत्र : ‘जो घर में आ जाए, वही नफा’ अर्थात् शेयर बाजार में कागज पर नफा या नुकसान एक सत्य है, परंतु वास्तविकता नहीं। तेजी में आपके शेयरों  का भाव ऊँचा हो गया हो या मंदी में नीचा, यह आपके नफे या नुकसान को दरशाता है, परंतु सिर्फ कागजों पर। निवेशकों को परंपरागत निवेश साधनों के मुकाबले शेयरों में कितना प्रतिफल मिल रहा है, इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने संतोष की सीमा निर्धारित कर लेनी चाहिए। इसका अभिप्राय यह है कि निवेशकों को चाहिए कि वे उचित समय पर अपने शेयरों को बेचकर मुनाफा बुक कर लें। इसी प्रकार उचित समय पर तथा उचित स्तर पर घाटा भी बुक कर लेना चाहिए। इसका निर्णय निवेशकों को अपने विवेक और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लेना चाहिए। अनंत लाभ का इंतजार नहीं करना चाहिए तथा उसी प्रकार अनंत समय तक इस बात का इंतजार भी नहीं करना चाहिए  कि उन शेयरों के भाव सुधरकर फिर से लौटेंगे। हाँ, न सुधरने की स्थिति में घाटे को स्वीकार करके बची हुई रकम को अन्य शेयरों में निवेश कर देना चाहिए।
  5. पाँचवाँ सूत्र : ‘सुनें सबकी, करें अपने मन की’। शेयर बाजार में आप हमेशा इस बात पर ही ध्यान देते हैं कि लोग क्या कहते हैं तथा क्या करते हैं और उसी के अनुसार चलते हैं। आप जिस दिन से लोगों का अंधानुकरण करना बंद कर देंगे, उसी दिन से शेयर बाजार में आपकी सफलता का द्वार खुल जाएगा। जब तक आप भीड़ का हिस्सा बने रहेंगे, तब तक आप उसी समय खरीदारी करेंगे, जब सब खरीद रहे होंगे और जब सब बेचना शुरू कर देंगे, तब आप भी अपने शेयर बेच डालेंगे। यहाँ सफलता का सूत्र यह है कि जब सब लोग बेच रहे हों, तब आप खरीदें और जब सब लोग खरीद रहे हों, तब आप बेच दें।
  6. छठा सूत्र : किसी भी शेयर के साथ भावनात्मक जुड़ाव न रखें। उचित प्रतिफल पर संतोष कर लेना चाहिए। कई बार आप बैंक या कंपनी की फिक्स डिपॉजिट में निवेश करके 8 से 10 प्रतिशत तक प्रतिफल पाकर संतुष्ट हो जाते हैं। किसी-किसी शेयर में 1 महीने में तो किसी में 6-12 महीनों में निवेश दोगुना हो सकता है; परंतु हमेशा ऐसा होता रहे, यह जरूरी नहीं है। किसी भी शेयर के साथ स्थायी रूप से संबंध नहीं जोड़ें। हालाँकि अपवाद-स्वरूप कुछ मामलों में अच्छे शेयर संतानों के लिए वसीयत के तौर पर रखे जा सकते हैं।
  7. सातवाँ सूत्र : इक्‍विटी शेयर प्रतिफल के लिए श्रेष्ठ साधन हैं। अभी तक का इतिहास गवाह है कि विश्‍व के विभिन्न निवेश साधनों में से इक्‍विटी में किए गए निवेश ने ही सबसे ज्यादा प्रतिफल दिया है। इक्‍विटी की विशेषता यह भी है कि यह निवेशकों के निवेश को शून्य भी कर देता है। इक्‍विटी में निवेश करनेवालों को यह सत्य स्वीकार करके ही इसमें निवेश करना चाहिए। इस सत्य के साथ एक पहलू यह भी है कि बाजार में विप्रो जैसे शेयर में जिसने 10 हजार रुपए का निवेश किया था और जिन्होंने यह निवेश 27 वर्षों तक सँभालकर रखा, आज उनका यह निवेश 200 करोड़ रुपए से अधिक का हो गया। इसी वजह से इक्‍विटी में निवेश जोखिम भरा माना जाता है। चूँकि जोखिम अधिक है, इसलिए प्रतिफल भी अधिक है

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