शेयर बाजार में निवेश में जोखिम होता है, आप लगातार शेयर बाजार को समय नहीं दे सकते हैं, तो आप Mutual Fund के माध्यम से निवेश कर सकते है. Mutual Fund के द्वारा निवेश में जोखिम कम होता है, तो लाभ भी कम होता है…
जिन निवेशकों के पास शेयर बाजार की चाल पर लगातार निगाह रखने का वक्त और दिलचस्पी नहीं है, उनके लिए सीधे शेयरों में निवेश करना खतरनाक साबित हो सकता है। इक्विटी पोर्टफोलियो (EQUITY PORTFOLIO) पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत होती है, नहीं तो ढीले शेयरों से सही वक्त पर बाहर निकलने और सही शेयरों में दाखिल होने का मौका हाथ से निकल सकता है। ऐसे निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड (MUTUAL FUND) के जरिए इक्विटी में निवेश करना ज्यादा बेहतर रणनीति साबित हो सकता है। म्यूचुअल फंड के मामले में शेयरों के संचालन की जिम्मेदारी फंड मैनेजर (FUND MANAGER) के कंधे पर डाल दी जाती है, लेकिन पोर्टफोलियो के लिए सही फंडों का चुनाव निवेशक की ही समस्या होती है। जोखिम सहने की क्षमता के आधार पर सही फंड का चुनाव निवेश के लिए तय अवधि और रिटर्न की उम्मीद काफी महत्त्वपूर्ण है। म्यूचुअल फंड में निवेश का तरीका बाजारों की प्रकृति के आधार पर भी अहमियत रखता है। म्यूचुअल फंड में एकमुश्त रकम (ONE TIME INVESTMENT) लगाई जा सकती है या फिर सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट (SIP) रूट का इस्तेमाल किया जा सकता है। म्यूचुअल फंड का पोर्टफोलियो अच्छे रिटर्न (GOOD RETURN) के लिए निवेशकों को लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप के बीच संतुलनवाला म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो तैयार करना चाहिए। ऐसा पोर्टफोलियो लार्जकैप इक्विटी की ओर ज्यादा झुका नहीं होना चाहिए और न ही ऐसे सेक्टर फंड पर केंद्रित होना चाहिए, जिनमें अधिक मुनाफे के साथ उतार-चढ़ाव भी ज्यादा होता है। उन्हें निश्चित रूप से मिडकैप (MEDSCAPE) और स्मॉल फंड (SMALL CAPE) में पैसा लगाना चाहिए। हालाँकि निवेश का अनुपात (INVESTMENT RATIOS) क्या और किस तरह होगा, यह निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता पर निर्भर करता है। बहुत सी अन्य बातों को भी देखना जरूरी है, जैसे कि क्या फंड ग्रोथ में विशेषज्ञता रखता है या वैल्यू में। बाजार में अलग-अलग कैप फंड के बारे में जानना एक अच्छा तरीका है। इससे आपको यह पता चलेगा कि कौन सा फंड आपके पोर्टफोलियो और निवेश की शैली के लिहाज से बेहतर है।
म्यूचुअल फंड में जोखिम घटाने का तरीके-Mutual Fund Me risk Kaise kam Kare
म्यूचुअल फंड में निवेश आमतौर पर निवेश का सुरक्षित माध्यम बताया जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इनके प्रबंधन का जिम्मा विशेषज्ञ लोग बड़े ही पेशेवर तरीके से सँभालते हैं। लेकिन क्या इसका यह मतलब है कि म्यूचुअल फंड में कतई जोखिम नहीं होता? जी नहीं, ऐसा नहीं है। आइए, इनसे जुड़े तरह-तरह के खतरों व जोखिमों को समझें तथा इन्हें कम करने के तरीके और रणनीतियों से वाकिफ हों।
फंड का ढीला प्रदर्शन- loose performance of mutual funds
आमतौर पर निवेशकों को उम्मीद रहती है कि उनकी ओर से चुना गया फंड बेंचमार्क के समान रफ्तार दिखाए, अगर वह इससे बेहतर साबित नहीं हो सकता। हालाँकि कई मामलों में फंड बेंचमार्क की गति से पिछड़ जाते हैं और निवेशकों की उम्मीदें बिखर जाती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सभी फंड बेंचमार्क इंडेक्स को पटखनी देने में कामयाब साबित नहीं होते। यही वजह है कि इंडेक्स से हलका प्रदर्शन करने की संभावना वास्तविक होती है।
बाजार के जोखिम-share market risks
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार के जोखिम में जुड़ा होता है और इस बात की कोई गारंटी या आश्वासन नहीं होता कि फंड का उद्देश्य हासिल हो जाएगा। शेयर, फंड या बॉण्ड फंड की कीमत में छोटी अवधि या लंबी मियाद में भी आनेवाली गिरावट बाजार से जुड़े जोखिम का नतीजा होती है। शेयर बाजार चक्रीय गति से चलते हैं। दो तरह की अवधि सामने आती है। एक वक्त में बाजार में तेज रफ्तार दर्ज की जा सकती है और दूसरे पल में इसमें गिरावट के दर्शन हो सकते हैं। अतीत का बेहतर प्रदर्शन इस बात की कोई गारंटी नहीं दे सकता कि भविष्य में भी इस फंड की चाल बढ़िया रहेगी और निवेशकों को उम्मीद के मुताबिक मुनाफा मिलेगा।
जरूरत से ज्यादा डायवर्सिफिकेशन-Over-diversification
जरूरत से ज्यादा डायवर्सिफिकेशन की स्थिति उस वक्त सामने आ सकती है, जब दो या उससे ज्यादा निवेश एक-दूसरे को ओवरलैप करते हैं। एक बढ़िया डायवर्सिफिकेशन वाले पोर्टफोलियो में ऐसी एसेट क्लास शामिल होती है, जो ज्यादा गहरा रिश्ता नहीं रखती और इसीलिए उन्हें अनुपूरक समझा जाता है। अलग-अलग सेक्टर में अपने निवेश का दायरा फैलाने से दो निवेश के बीच करीबी संबंध बनने से रोकने में मदद मिलेगी और साथ ही कीमतों में उथल-पुथल का जोखिम भी काफी हद तक कम रह जाएगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सभी उद्योग या सेक्टर एक ही वक्त पर एक साथ ऊपर या नीचे नहीं चलते। जरूरत से ज्यादा डायवर्सिफिकेशन या निवेश को भेदभावपूर्ण तरीके से विस्तारित बनाने से ज्यादा मदद नहीं होगी। हाँ, यह नुकसान की वजह जरूर बन सकता है।
खर्च -Payment of various charges to mutual fund investors
भले कोई फंड मुनाफा देने में नाकाम साबित हो, लेकिन निवेशक को फीस और दूसरे शुल्क चुकाने ही होते हैं। म्यूचुअल फंड निवेशकों को कई तरह के शुल्कों का भुगतान करना होता है, जो एक साथ पैकेज में आते हैं। यह फीस फंड हाउस मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन, प्रोसेसिंग, एसेट मैनेजमेंट खर्च और दूसरे प्रशासनिक व्यय से निपटने के लिए इस्तेमाल करते हैं। हालाँकि निवेशकों के लिए सेबी ने एक खुशखबरी दी है कि किसी भी तरह की म्यूचुअल फंड खरीद पर कोई एंट्री कोड नहीं लगाया जाएगा।
निवेश के चलन में बदलाव-change in investment trends
पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट मैनेजर को वक्त और हालात के साथ अपनी रणनीति में बदलाव करने होते हैं। इस मोरचे पर म्यूचुअल फंड अपने निवेश के उद्देश्य और स्टाइल से अलग राह पकड़ता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब फंड मैनेजर अलग-अलग रणनीतियों के साथ प्रदर्शन में सुधार के लिए प्रयोग करता है। नतीजा यह होता है कि फंड का जोखिम-रिटर्न अनुपात गड़बड़ा जाता है।
प्रबंधक का जोखिम-manager’s risk
जब कोई इन्वेस्टमेंट मैनेजर अपने पोर्टफोलियो को प्रभावी रूप से नहीं सँभाल पाता तो फंड अपने उद्देश्यों तक पहुँचने में नाकाम साबित हो सकता है। इसके अलावा फंड मैनेजर की रणनीति बदलने से निवेश का स्टाइल भी बदल सकता है।